फुर्सत नहीं है इन्सान को घर से मन्दिर तक जाने की..!ख्वाहिश रखता है श्मशान से सीधे स्वर्ग जाने की…!!!!
यूँ तो हम दुश्मनों के काफिलों से भी सर उठा के गुजर जाते थे,खौफ तो अक्सर अपनों की गलियों से गुजरने में लगता है…!
खोने की दहशत और पाने की चाहत न होती, तो ना ख़ुदा होता कोई और न इबादत होती
खोने की दहशत और पाने की चाहत न होती, तो ना ख़ुदा होता कोई और न इबादत होती
मेरी खामोशियों में भी फसाना ढूँढ लेती है,बड़ी शातिर है दुनिया मजा लेने का बहाना ढ़ूँढ लेती है
मेरी खामोशियों में भी फसाना ढूँढ लेती है,बड़ी शातिर है दुनिया मजा लेने का बहाना ढ़ूँढ लेती है
लोग भी बड़े अजीब होते है, गलत साबित होने से पहले माफ़ी नहीं मांगते, बल्कि तालुक तोड़ देते है…
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