[8/16, 11:15 AM] prashant Yadav friend: लोग तो अपना बना कर छोड़ देते हैं, कितनी आसानी से गैरों से रिश्ता जोड़ लेते हैं, हम एक फूल तक ना तोड़ सके कभी, कुछ लोग बेरहमी से दिल तोड़ देते हैं।
[8/16, 11:15 AM] prashant Yadav friend: हाल-ए-दिल अब बताना मुश्किल हुआ, दर्द-ए-दिल अब छुपाना मुश्किल हुआ। मांगी थी रब से थोड़ी अपने लिए खुशी, अब खुशियों को हमें पाना मुश्किल हुआ। खामोशी में रहगुज़र भटकी सी जिंदगी, अब अश्कों को आँखों में मिलना मुश्किल हुआ। चाहत थीं हर खुशी में शरीक हो जो अपने, अब उन्हीं से नजरें चुराना मुश्किल हुआ। क्या खता थी मेरी जो समझ भी ना सके, कब खुद को उन्हें समझना मुश्किल हुआ।
[8/16, 11:16 AM] prashant Yadav friend: मिले न फूल तो काँटों से जख्म खाना है, उसी गली में मुझे बार-बार जाना है, मैं अपने खून का इल्जाम दूँ तो किसको दूँ, लिहाज ये है कि क़ातिल से दोस्ताना है।
[8/16, 11:16 AM] prashant Yadav friend: जब किसी का दर्द हद से गुजर जाता है तो समंदर का पानी आँखों में उतर आता है, कोई बना लेता है रेत से आशियाना तो, किसी का लहरों में सबकुछ बिखर जाता है।
[8/16, 11:16 AM] prashant Yadav friend: जो एक ज़रा सी बात पर रूठ गए हमसे, वो हमारे दर्द की दास्तान क्या सुनते।
[8/16, 11:16 AM] prashant Yadav friend: काश उनको पता होता मेरे दर्दे दिल की चुभन, तो वो हमको बार-बार न सताया करते, जिस बात से हम उनसे रोज खफा होते हैं तो वो बात हमसे न बताया करते, ये बात भी ऐसी है जोकि कोई बात नहीं, किसी गैर का नाम लेकर हमको न तड़पाया करतेl
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mast
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