एक नदिया है मजबूरी की उस पार हो तुम इस पार हैं हम, अब पार उतरना है मुश्किल मुझे बेकल बेबस रहने दो। कभी प्यार था अपना दीवाना सा झिझक भी थी एक अदा भी थी, सब गुजर गया एक मौसम सा अब याद का पतझड़ रहने दो। तुम भूल गए क्या गिला करें तुम, तुम जैसे थे हम जैसे नहीं, कुछ अश्क़ बहेंगे याद में बस अब दर्द का सावन रहने दो। तेरे सुर्ख लबों के रंग से फिर मुझे बिखरे ख्वाब संजोने दो, मैं हूँ प्यार का मारा बेचारा मुझे बेकस बेखुद रहने दो।
जितनी शिद्दत से मुझे ज़ख्म दिए है उसने, इतनी शिद्दत से तो मैंने उसे चाहा भी नहीं था।
उदासी जब तुम पर बीतेगी तो तुम भी जान जाओगे, कोई नजर-अंदाज़ करता है तो कितना दर्द होता है।
महफ़िल भी रोएगी हर दिल भी रोयेगा, डुबा कर मेरी कश्ती साहिल भी रोयेगा, इतना प्यार बिखेर देंगे दुनिया में हम, कत्ल करके हमारा कातिल भी रोयेगा।
किस्मत में लिखा थाआशना दर्द से होना, तू ना मिलता तो किसी और से बिछड़े होते।
बज़्म-ए-वफ़ा में हमारी गरीबी न पूछिये, एक दर्द-ए-दिल था वो भी किसी का दिया हुआ।
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